Poems
1. THE BREAD OF THE PEOPLE
(Bertolt Brecht)
2. How to Tame a New Pair of Chappals
3. One-eyed (A Poem by Meena Kandasamy)
4. The Three Oddest Words
5. A MYSTERIOUS MARRIAGE
6. I ’M nobody! Who are you
By Emily Dickinson
7. Oh Jerusalem, the city of sorrow
9. सदियों पुराना
तुम्हारे भीतर है
सदियों पुराना
एक खूसट बूढ़ा
जो लाठियां
ठकठकाते
अभी भी अपनी
मुंछों को
तेल पिलाते
रहता है
आखिर तुम कैसे
उसकी झुर्रियों
के जाल से
बाहर आ पाओगी
तुम्हारे भीतर
है
हमारी छटपटाती
भूखी इच्छाएं
खूनी वासनाएं
इन सबके बीच
आखिर कब तक
रह पाओगी
तुम वह मीठा
झरना
जिसमें तैरती
हैं
मछलियां
किनारे पर
जिसके
पड़ी होती हैं
सीपियां
तुम्हारे भीतर
है
सदियों पुराना
एक खूसट बूढ़ा
जो लाठियां
ठकठकाते
अभी भी अपनी
मुंछों को
तेल पिलाते
रहता है
आखिर तुम कैसे
उसकी झुर्रियों
के जाल से
बाहर आ पाओगी
तुम्हें बंद
करने होंगे
वे सारे दरवाजे
जो खोल रखे हैं
उस खूसट बूढ़े
ने
आखिर कोई कैसे
सदियों तक अपनी
जमीन
बंधक रहने दे
सकता है
9. सदियों पुराना
तुम्हारे भीतर है
सदियों पुराना
एक खूसट बूढ़ा
जो लाठियां
ठकठकाते
अभी भी अपनी
मुंछों को
तेल पिलाते
रहता है
आखिर तुम कैसे
उसकी झुर्रियों
के जाल से
बाहर आ पाओगी
तुम्हारे भीतर
है
हमारी छटपटाती
भूखी इच्छाएं
खूनी वासनाएं
इन सबके बीच
आखिर कब तक
रह पाओगी
तुम वह मीठा
झरना
जिसमें तैरती
हैं
मछलियां
किनारे पर
जिसके
पड़ी होती हैं
सीपियां
तुम्हारे भीतर
है
सदियों पुराना
एक खूसट बूढ़ा
जो लाठियां
ठकठकाते
अभी भी अपनी
मुंछों को
तेल पिलाते
रहता है
आखिर तुम कैसे
उसकी झुर्रियों
के जाल से
बाहर आ पाओगी
तुम्हें बंद
करने होंगे
वे सारे दरवाजे
जो खोल रखे हैं
उस खूसट बूढ़े
ने
आखिर कोई कैसे
सदियों तक अपनी
जमीन
बंधक रहने दे
सकता है
10. केदार नाथ सिंह की कविता- विद्रोह
आज घर में घुसा
तो वहां अजब दृश्य था
सुनिये- मेरे बिस्तर ने कहा-
यह रहा मेरा
इस्तीफ़ा
मैं अपने कपास के
भीतर
वापस जाना चाहता हूं
उधर कुर्सी और मेज़
का
एक संयुक्त मोर्चा
था
दोनों तड़पकर बोले-
जी- अब बहुत हो चुका
आपको सहते-सहते
हमें बेतरह याद आ
रहे हैं
हमारे पेड़
और उनके भीतर का वह
ज़िंदा द्रव
जिसकी हत्या कर दी
है
आपने
उधर आलमारी में बंद
किताबें चिल्ला रही
थीं
खोल दो-हमें खोल दो
हम जाना चाहती हैं
अपने
बांस के जंगल
और मिलना चाहती हैं
अपने बिच्छुओं के
डंक
और सांपों के चुंबन
से
पर सबसे अधिक नाराज़
थी
वह शॉल
जिसे अभी कुछ दिन
पहले कुल्लू से ख़रीद लाया था
बोली- साहब!
आप तो बड़े साहब
निकले
मेरा दुम्बा भेड़ा
मुझे कब से
पुकार रहा है
और आप हैं कि अपनी
देह
की क़ैद में
लपेटे हुए हैं मुझे
उधर टी.वी. और फोन
का
बुरा हाल था
ज़ोर-ज़ोर से कुछ कह
रहे थे
वे
पर उनकी भाषा
मेरी समझ से परे थी
-कि तभी
नल से टपकता पानी
तड़पा-
अब तो हद हो गई
साहब!
अगर सुन सकें तो सुन
लीजिए
इन बूंदों की आवाज़-
कि अब हम
यानी आपके सारे के
सारे
क़ैदी
आदमी की जेल से
मुक्त होना चाहते
हैं
अब जा कहां रहे हैं-
मेरा दरवाज़ा कड़का
जब मैं बाहर निकल
रहा था.
(तहलका हिन्दी के संस्कृति विशेषांक अंक मे प्रकाशित। कविता संग्रह ‘सृष्टि पर पहरा’ राजकमल प्रकाशन से
शीघ्र प्रकाश्य)
Bidesia Rang के सौजन्य से
11. पहला मारने
से पहले
अंतिम इच्छा जरूर पूछता है
क्योंकि वह
एक संविधान से बंधा है
दूसरा
पहले जात पूछता है
धर्म पूछता है
फिर मारता है
क्योंकि वह
एक महान संस्कृति का अनुयायी है
तीसरा
कुछ भी नहीं पूछता
बस मार डालता है
क्योंकि वह
जाति, धर्म, संविधान कुछ भी
नहीं मानता
और जब हम
इन तीनों के हमले का प्रतिकार करते
हैं
राष्ट्र की आंतरिक सुरक्षा के लिए
खतरा बन जाते हैं
12. Clothes:कपड़े
तुम लाए कपड़े
और सब नंगे हो गए
तुमने कहा
पहन कर इसे हम सभी
सभ्य सुसंस्कृत हो
जाएंगे
सब बर्बर हो गए
फिर तुमने कहा
अच्छा ऐसे नहीं ऐसे
पहनो
इतना नहीं इतना पहनो
ऐसा पहनो वैसा पहनो
पर हमारे हिसाब से
पहनो
जिसे आसानी से उतारा
जा सके
चाहे घर हो संसद हो
या हो सड़क
कपड़े से तुम कितना
खेलते हो
बंद कमरे में नंगा
होओगे खुद
और स्त्री को कर
दोगे नंगा
कहोगे यह नंगापन
नहीं प्रेम है
फिर तुम्हीं मर्यादा
संस्कृति की रक्षा में
किसी स्त्री को कर
दोगे खाप में नंगा
कहोगे उसका परिवार
था ही इस लायक
तुमने यह भी कहा
कपड़े से कुछ नहीं
छुपता
इंसान विचारों से
होता है नंगा
इस तरह तुम
सामंती लैंगिक
क्रूरता से
छुपाते रहे नंगापन
औद्योगिक घरानों की
सांठगांठ से
जो मेहनत की रक्त
में
कपड़े बुन रहे थे
तुम करते हो भेद
कपड़े से
कौन कितना कमाता है
किसकी हैसियत कितनी
है
वह विकसित है कि
अविकसित है
कपड़े में लिपटा
व्यक्ति इंसान नहीं
अमीर है या गरीब है
वह नर है कि मादा है
उसकी जाति क्या है
उसका धर्म क्या है
कौन करेगा यह कनफेशन
कि जब तक तुम्हारे
कपड़े नहीं आए थे
कोई नंगा नहीं था
13.
Bonsai
Tree
A Work of Artifice
in the attractive pot
could have grown eighty feet tall
on the side of a mountain
till split by lightning.
But
a gardener
carefully pruned it.
It is nine inches high.
whittles back the branches
the gardener croons,
‘It is your nature
to be small and cozy,
domestic and weak;
how lucky, little tree,
to have a pot to grow in’.
With living creatures
one must begin very early
to dwarf their growth:
the bound feet,
the crippled brain,
the hair in curlers,
the hands you
love to touch.
Marge Piercy
14. Brother like Raavan
मुझे रावण जैसा भाई चाहिए !
गर्भवती माँ ने बेटी से पूछा
क्या चाहिए तुझे? बहन या भाई
बेटी बोली भाई
माँ - किसके जैसा? बेटी ने गर्व से
रावण सा, माँ ने जवाब दिया
क्या बकती है? पिता ने धमकाया
'माँ ने घूरा, गाली देती है
बेटी बोली, क्यूँ माँ?
बहन के अपमान पर राज्य
वंश और प्राण लुटा देने वाला
शत्रु स्त्री को हरने के बाद भी
स्पर्श न करने वाला
रावण जैसा भाई ही तो
हर लड़की को चाहिए आज
छाया जैसी साथ निभाने वाली
गर्भवती निर्दोष पत्नी को त्यागने वाले
मर्यादा पुरषोत्तम सा भाई
लेकर क्या करुँगी मैं?
और माँ
अग्नि परीक्षा चौदह बरस वनवास और
अपहरण से लांछित बहु की क़तर आहें
तुम कब तक सुनोगी और
कब तक राम को ही जन्मोगी
माँ सिसक रही थी - पिता आवाक था
.....
Shintsie Kumar
Javed Akhtar reciting a few of his poems:
15) Naya Hukmanama - New Ordinance
16) Yeh Khel Kya Hai! (A poem on the game of Chess)
17. Saba Naqvi performs 'Meri Saree'
18. Unerase Poetry: Mere Kavi Dost
19. The Patriot - Nissim Ezekiel
Why world is fighting fighting
Why all people of world
Are not following Mahatma Gandhi,
I am simply not understanding.
Ancient Indian Wisdom is 100% correct,
I should say even 200% correct,
But modern generation is neglecting -
Too much going for fashion and foreign thing.
Other day I'm reading newspaper
(Every day I'm reading Times of India
To improve my English Language)
How one goonda fellow
Threw stone at Indirabehn.
Must be student unrest fellow, I am thinking.
Friends, Romans, Countrymen, I am saying (to myself)
Lend me the ears.
Everything is coming -
Regeneration, Remuneration, Contraception.
Be patiently, brothers and sisters.
You want one glass lassi?
Very good for digestion.
With little salt, lovely drink,
Better than wine;
Not that I am ever tasting the wine.
I'm the total teetotaller, completely total,
But I say
Wine is for the drunkards only.
What you think of prospects of world peace?
Pakistan behaving like this,
China behaving like that,
It is making me really sad, I am telling you.
Really, most harassing me.
All men are brothers, no?
In India also
Gujaratis, Maharashtrians, Hindiwallahs
All brothers -
Though some are having funny habits.
Still, you tolerate me,
I tolerate you,
One day Ram Rajya is surely coming.
You are going?
But you will visit again
Any time, any day,
I am not believing in ceremony
Always I am enjoying your company