Saturday, 17 October 2015
Life Skills from a Struggler - Shahrukh Khan
Friday, 16 October 2015
Postcards in the Digital Age
It's the 'Experience' to write a Postcard
Some concerns about writing Postcard in Digital Age
We may cite examples of Il Postino: The Postman (See footnote), a fictional story in which the real life Chilean poet Pablo Neruda forms a relationship with a simple postman. But in real, pragmatic life, the idea of postcard seems to be weird.
Waiting to write reply postcard . . . |
Sunday, 11 October 2015
Zero Dark Thirty: Event, Film, Technology, Illusion (Maya)
Zero Dark Thirty - a film
The historical event, the literary expression, the illusion and freedom from time and space
The one who are victorious, becomes the writer / narrator of the history. One who believes in this definitions are the defeated on and thus history is also self-delusion of the defeated. History and literature are deeply connected. Northrop Frye observed that Literature stands on the support of Philosophy and History. The film is a literary expression. Thus, an imaginary narration of the historical event. As time passes on the line of difference between history and its imaginary narration starts getting blurred and seems to be one and the same. Therefore, it becomes necessary to ponder upon the historical events which are near in time and consciousness and its narration in literature. This film (Zero Dark Thirty) is classic example of certainty produced at the point where inadequacies of documentation and imperfections of memory meet. Without any evidence, we are at the mercy of 'visual confirmation' of Maya. Maya is a Sanskrit word for “magic” or “illusion”) a fundamental concept in Hindu philosophy, notably in the Advaita (Nondualist) school of Vedanta. Maya originally denoted the magic power with which a god can make human beings believe in what turns out to be an illusion.
Well, the film is worth watching.Watch it for Maya. Her unflinching doggedness in pursuit of her goal. Her belief in what she believes. . . and later on she is the only one to confirm what she believes. That's where the symbolic significance of her name 'Maya'- an illusion becomes crucial to understand the film.
Brief note on Hollywood and Bollywood
I watch this film on YouTube. I rented the film for Rs. 50 for 48 hours. It was quite unique
Tuesday, 6 October 2015
Coleridge: Biographia Literaria
Samuel Taylor Coleridge
Biographia Literaria: Chapter 14
- Two Cardinal Points of Poetry
- Coleridge’s views towards Wordsworth’s poetic creed
- Difference between Poem and Prose
- Definition of Liegitimate Poem & Function of Poem
- Difference between Poem and Poetry
After viewing this presentation, to check your understanding of Coleridge's views in Ch 14 of Biographia Literaria, take this online quiz.
Online Quiz
Tasks
- Write in your words the difference between poem and prose.
- Write in your words the difference between poem and poetry.
- Give illustrations to support your answer.
Friday, 25 September 2015
India in Virginia Woolf's Lighthouse
How is India represented in ‘To The Lighthouse’?
India is referred 6 times in the novel. (The blog is a draft. . . will be updated soon with detailed interpretation of the representation of India in the novel)
Here are the lines and the context in which they are mentioned:
Reference: India is ruled by the men-folk.
2) She was now
formidable to behold, and it was only in silence, looking up from their plates,
after she had spoken so severely about Charles Tansley, that her daughters,
Prue, Nancy, Rose—could sport with infidel ideas which they had brewed for
themselves of a life different from hers; in Paris, perhaps; a wilder life; not
always taking care of some man or other; for there was in all their minds a
mute questioning of deference and chivalry, of the Bank of England and the Indian Empire, of ringed
fingers and lace, though to them all there was something in this of the essence
of beauty, which called out the manliness in their girlish hearts, and made
them, as they sat at table beneath their mother’s eyes, honour her strange
severity, her extreme courtesy, like a queen’s raising from the mud to wash a beggar’s dirty foot,
when she admonished them so very severely about that wretched atheist who had chased them—or,
speaking accurately, been invited to stay with them—in the Isle of Skye.
Reference: India is exotic place where lies great romance,
adventure and happiness
Wednesday, 23 September 2015
Just Poems
Poems
1. THE BREAD OF THE PEOPLE
(Bertolt Brecht)
2. How to Tame a New Pair of Chappals
3. One-eyed (A Poem by Meena Kandasamy)
4. The Three Oddest Words
5. A MYSTERIOUS MARRIAGE
6. I ’M nobody! Who are you
By Emily Dickinson
7. Oh Jerusalem, the city of sorrow
9. सदियों पुराना
तुम्हारे भीतर है
सदियों पुराना
एक खूसट बूढ़ा
जो लाठियां
ठकठकाते
अभी भी अपनी
मुंछों को
तेल पिलाते
रहता है
आखिर तुम कैसे
उसकी झुर्रियों
के जाल से
बाहर आ पाओगी
तुम्हारे भीतर
है
हमारी छटपटाती
भूखी इच्छाएं
खूनी वासनाएं
इन सबके बीच
आखिर कब तक
रह पाओगी
तुम वह मीठा
झरना
जिसमें तैरती
हैं
मछलियां
किनारे पर
जिसके
पड़ी होती हैं
सीपियां
तुम्हारे भीतर
है
सदियों पुराना
एक खूसट बूढ़ा
जो लाठियां
ठकठकाते
अभी भी अपनी
मुंछों को
तेल पिलाते
रहता है
आखिर तुम कैसे
उसकी झुर्रियों
के जाल से
बाहर आ पाओगी
तुम्हें बंद
करने होंगे
वे सारे दरवाजे
जो खोल रखे हैं
उस खूसट बूढ़े
ने
आखिर कोई कैसे
सदियों तक अपनी
जमीन
बंधक रहने दे
सकता है
9. सदियों पुराना
तुम्हारे भीतर है
सदियों पुराना
एक खूसट बूढ़ा
जो लाठियां
ठकठकाते
अभी भी अपनी
मुंछों को
तेल पिलाते
रहता है
आखिर तुम कैसे
उसकी झुर्रियों
के जाल से
बाहर आ पाओगी
तुम्हारे भीतर
है
हमारी छटपटाती
भूखी इच्छाएं
खूनी वासनाएं
इन सबके बीच
आखिर कब तक
रह पाओगी
तुम वह मीठा
झरना
जिसमें तैरती
हैं
मछलियां
किनारे पर
जिसके
पड़ी होती हैं
सीपियां
तुम्हारे भीतर
है
सदियों पुराना
एक खूसट बूढ़ा
जो लाठियां
ठकठकाते
अभी भी अपनी
मुंछों को
तेल पिलाते
रहता है
आखिर तुम कैसे
उसकी झुर्रियों
के जाल से
बाहर आ पाओगी
तुम्हें बंद
करने होंगे
वे सारे दरवाजे
जो खोल रखे हैं
उस खूसट बूढ़े
ने
आखिर कोई कैसे
सदियों तक अपनी
जमीन
बंधक रहने दे
सकता है
10. केदार नाथ सिंह की कविता- विद्रोह
आज घर में घुसा
तो वहां अजब दृश्य था
सुनिये- मेरे बिस्तर ने कहा-
यह रहा मेरा
इस्तीफ़ा
मैं अपने कपास के
भीतर
वापस जाना चाहता हूं
उधर कुर्सी और मेज़
का
एक संयुक्त मोर्चा
था
दोनों तड़पकर बोले-
जी- अब बहुत हो चुका
आपको सहते-सहते
हमें बेतरह याद आ
रहे हैं
हमारे पेड़
और उनके भीतर का वह
ज़िंदा द्रव
जिसकी हत्या कर दी
है
आपने
उधर आलमारी में बंद
किताबें चिल्ला रही
थीं
खोल दो-हमें खोल दो
हम जाना चाहती हैं
अपने
बांस के जंगल
और मिलना चाहती हैं
अपने बिच्छुओं के
डंक
और सांपों के चुंबन
से
पर सबसे अधिक नाराज़
थी
वह शॉल
जिसे अभी कुछ दिन
पहले कुल्लू से ख़रीद लाया था
बोली- साहब!
आप तो बड़े साहब
निकले
मेरा दुम्बा भेड़ा
मुझे कब से
पुकार रहा है
और आप हैं कि अपनी
देह
की क़ैद में
लपेटे हुए हैं मुझे
उधर टी.वी. और फोन
का
बुरा हाल था
ज़ोर-ज़ोर से कुछ कह
रहे थे
वे
पर उनकी भाषा
मेरी समझ से परे थी
-कि तभी
नल से टपकता पानी
तड़पा-
अब तो हद हो गई
साहब!
अगर सुन सकें तो सुन
लीजिए
इन बूंदों की आवाज़-
कि अब हम
यानी आपके सारे के
सारे
क़ैदी
आदमी की जेल से
मुक्त होना चाहते
हैं
अब जा कहां रहे हैं-
मेरा दरवाज़ा कड़का
जब मैं बाहर निकल
रहा था.
(तहलका हिन्दी के संस्कृति विशेषांक अंक मे प्रकाशित। कविता संग्रह ‘सृष्टि पर पहरा’ राजकमल प्रकाशन से
शीघ्र प्रकाश्य)
Bidesia Rang के सौजन्य से
11. पहला मारने
से पहले
अंतिम इच्छा जरूर पूछता है
क्योंकि वह
एक संविधान से बंधा है
दूसरा
पहले जात पूछता है
धर्म पूछता है
फिर मारता है
क्योंकि वह
एक महान संस्कृति का अनुयायी है
तीसरा
कुछ भी नहीं पूछता
बस मार डालता है
क्योंकि वह
जाति, धर्म, संविधान कुछ भी
नहीं मानता
और जब हम
इन तीनों के हमले का प्रतिकार करते
हैं
राष्ट्र की आंतरिक सुरक्षा के लिए
खतरा बन जाते हैं
12. Clothes:कपड़े
तुम लाए कपड़े
और सब नंगे हो गए
तुमने कहा
पहन कर इसे हम सभी
सभ्य सुसंस्कृत हो
जाएंगे
सब बर्बर हो गए
फिर तुमने कहा
अच्छा ऐसे नहीं ऐसे
पहनो
इतना नहीं इतना पहनो
ऐसा पहनो वैसा पहनो
पर हमारे हिसाब से
पहनो
जिसे आसानी से उतारा
जा सके
चाहे घर हो संसद हो
या हो सड़क
कपड़े से तुम कितना
खेलते हो
बंद कमरे में नंगा
होओगे खुद
और स्त्री को कर
दोगे नंगा
कहोगे यह नंगापन
नहीं प्रेम है
फिर तुम्हीं मर्यादा
संस्कृति की रक्षा में
किसी स्त्री को कर
दोगे खाप में नंगा
कहोगे उसका परिवार
था ही इस लायक
तुमने यह भी कहा
कपड़े से कुछ नहीं
छुपता
इंसान विचारों से
होता है नंगा
इस तरह तुम
सामंती लैंगिक
क्रूरता से
छुपाते रहे नंगापन
औद्योगिक घरानों की
सांठगांठ से
जो मेहनत की रक्त
में
कपड़े बुन रहे थे
तुम करते हो भेद
कपड़े से
कौन कितना कमाता है
किसकी हैसियत कितनी
है
वह विकसित है कि
अविकसित है
कपड़े में लिपटा
व्यक्ति इंसान नहीं
अमीर है या गरीब है
वह नर है कि मादा है
उसकी जाति क्या है
उसका धर्म क्या है
कौन करेगा यह कनफेशन
कि जब तक तुम्हारे
कपड़े नहीं आए थे
कोई नंगा नहीं था
13.
Bonsai
Tree
A Work of Artifice
in the attractive pot
could have grown eighty feet tall
on the side of a mountain
till split by lightning.
But
a gardener
carefully pruned it.
It is nine inches high.
whittles back the branches
the gardener croons,
‘It is your nature
to be small and cozy,
domestic and weak;
how lucky, little tree,
to have a pot to grow in’.
With living creatures
one must begin very early
to dwarf their growth:
the bound feet,
the crippled brain,
the hair in curlers,
the hands you
love to touch.
Marge Piercy
14. Brother like Raavan
मुझे रावण जैसा भाई चाहिए !
गर्भवती माँ ने बेटी से पूछा
क्या चाहिए तुझे? बहन या भाई
बेटी बोली भाई
माँ - किसके जैसा? बेटी ने गर्व से
रावण सा, माँ ने जवाब दिया
क्या बकती है? पिता ने धमकाया
'माँ ने घूरा, गाली देती है
बेटी बोली, क्यूँ माँ?
बहन के अपमान पर राज्य
वंश और प्राण लुटा देने वाला
शत्रु स्त्री को हरने के बाद भी
स्पर्श न करने वाला
रावण जैसा भाई ही तो
हर लड़की को चाहिए आज
छाया जैसी साथ निभाने वाली
गर्भवती निर्दोष पत्नी को त्यागने वाले
मर्यादा पुरषोत्तम सा भाई
लेकर क्या करुँगी मैं?
और माँ
अग्नि परीक्षा चौदह बरस वनवास और
अपहरण से लांछित बहु की क़तर आहें
तुम कब तक सुनोगी और
कब तक राम को ही जन्मोगी
माँ सिसक रही थी - पिता आवाक था
.....
Shintsie Kumar
Javed Akhtar reciting a few of his poems:
15) Naya Hukmanama - New Ordinance
16) Yeh Khel Kya Hai! (A poem on the game of Chess)
17. Saba Naqvi performs 'Meri Saree'
18. Unerase Poetry: Mere Kavi Dost
19. The Patriot - Nissim Ezekiel
Why world is fighting fighting
Why all people of world
Are not following Mahatma Gandhi,
I am simply not understanding.
Ancient Indian Wisdom is 100% correct,
I should say even 200% correct,
But modern generation is neglecting -
Too much going for fashion and foreign thing.
Other day I'm reading newspaper
(Every day I'm reading Times of India
To improve my English Language)
How one goonda fellow
Threw stone at Indirabehn.
Must be student unrest fellow, I am thinking.
Friends, Romans, Countrymen, I am saying (to myself)
Lend me the ears.
Everything is coming -
Regeneration, Remuneration, Contraception.
Be patiently, brothers and sisters.
You want one glass lassi?
Very good for digestion.
With little salt, lovely drink,
Better than wine;
Not that I am ever tasting the wine.
I'm the total teetotaller, completely total,
But I say
Wine is for the drunkards only.
What you think of prospects of world peace?
Pakistan behaving like this,
China behaving like that,
It is making me really sad, I am telling you.
Really, most harassing me.
All men are brothers, no?
In India also
Gujaratis, Maharashtrians, Hindiwallahs
All brothers -
Though some are having funny habits.
Still, you tolerate me,
I tolerate you,
One day Ram Rajya is surely coming.
You are going?
But you will visit again
Any time, any day,
I am not believing in ceremony
Always I am enjoying your company