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Monday, 11 May 2020

Understanding Online Teaching

Live Interaction on 'Understanding Online Teaching'

Questions by Interviewers:

1.    How do you see online teaching in the time of covid19 / corona virus pandemic?
a.    Poll (for audience): Will covid19 make online education an integral part of traditional education system? (White Baord)
                                          i.    Yes, it will.
                                         ii.    No, it is just a phase. We will come back to our traditional as soon as it is over.
b.    Poll: Will covid19 prove to be the last nail in the coffin in which teacher will be buried forever and technology will take over / replace teacher? (the only source of information; the fountain head, sage on the stage – crowd sourcing, rivulets flowing, guide by the side/in the pocket/
                                          i.    No, it is just a phase. We will come back to our traditional as soon as it is over.
                                         ii.    Yes, those who are adamant to adopt to technology will be buried and replaced by technology
                                        iii.    Yes and No. Teacher as a human intervention will remain but the role of the teacher will no longer remain as it was. Sage on the stage vs Guide by the Side (virtually)
2.    As you said that the critics of online education have also emerged. On what grounds are they making critique of online education?
a.    Do you agree with the critics of the online teaching in this epidemic?
                                          i.    Yes. I like the idea of ‘Maslow before Bloom’.
                                         ii.    No. It is good opportunity and it shall be grabbed.
3.    What according to you shall be the ‘model’ for ‘Online Teaching’? And what is the importance of ‘digital platform’ in this model?
a.    Do you agree that most of the teachers do not have a ‘model’ in the mind for online teaching?
                                          i.    No. They have a model.
                                         ii.    Yes. They do not have model of online teaching and they are just replicating traditional f2f on zoom platform
4.    In a recent TV debate, Anant Agarwal, CEO, edX, Jeff Maggioncalda, CEO, Coursera and Prin. Rekha Krishna, Vasant Valley School – there were some hope as well as apprehensions. What’s your opinion about this debate? (kids – let them play – grown-up, study – in blended mode – core knowledge vs skills) (Show in whiteboard)
a.    Do you agree that we should have separate ‘online education policies’ for schools and colleges?
                                          i.    Yes
                                         ii.    No
5.    You talked about ‘Model’ and ‘Platform’. How about the role of ‘teacher’ in ‘Online Teaching’? Isn’t teacher becoming more of a ‘material developer’? If so, how are teachers going to groom themselves into this new role and new demands?
a.    Do you agree that the teachers shall be more of ‘constructivist’ rather than ‘behaviouristic’ in online education system?
                                          i.    No. I think it is okay to be behaviouristic even in online teaching
                                         ii.    Yes. I think this is very important. Maybe we are failing because this difference in not understood properly.
6.    You mentioned ‘instructional design’. May you please throw more light on it?
a.    Is it necessary to understand ‘instructional design models’ to prepare better modules for online teaching?
                                          i.    No.
                                         ii.    Yes. This will improve the quality and effectiveness of online teaching.
7.    I have read some articles on ERT. what is ERT?
a.    Do you think that most of us are doing online is ERT rather than well-planned online teaching?
                                          i.    No.         ii. Yes.

Watch live interaction




The Presentation


Understanding Online Teaching from Dilip Barad

Some parts of this discussion was shared on Facebook:


#OnlineTeaching #बहस #ચર્ચા #debate #Corona #Covid19
कोरोना महामारी के मंथन नें एक ओर बहस को छिड़ दिया है।
Technology for teaching.
जो लोग अब तक शैक्षणिक कार्य मे खास करके पढ़ाने (teaching) के कार्य मे technology को दूर से ही सलाम कर देते थे और इंगिनत बहाने बनाते थे उनमे से बहुत सारे अब डिजिटल प्लेटफार्म पर परफॉर्म करने लगे है।
बहुत सारे शिक्षक और विद्यार्थी खुश नही है। दिक्कते बहुत आती है। अभी ठीक से एडजस्ट नही हो पा रहे। टेक्नोलॉजी को अडॉप्ट करने में वक्त लगता है।
इस महामारी में शैक्षणिक संस्थाओं और शिक्षकों एवं विद्यार्थियों ने आपातकालीन रूप में अभी पढ़ना-पढ़ाना शूरु कर दिया है।
बहुत सारो के लिए यह पहला कदम है।
जो लोग टेक्नोलॉजी को पढ़ाई का अभिन्न अंग बनाना चाहते थे उनलोगों के लिए तो जैसे स्वर्णयुग के प्रवेशद्वार पे खड़े होने की ख़ुशी हो रही होंगी।
खैर, हम वापिस उस डिबेट पे आते है। क्या टेक्नोलॉजी टीचर को रिप्लेस कर पाएगी? एक महत्व का मुद्दा शिक्षकों की फ़ेवर में यह था कि 'पर्सनल टच' से, रूबरू हाज़िर होने से, शिक्षक एक अतिमहत्व का रोल अदा कर शकते है। पर अब जब सब शिक्षकों 'देह से दूरी' - physical distancing - social distancing को फॉलो करते हुए डिजिटल प्लेटफॉर्म से पढ़ाते है तब वो टूटने लगता है।
फिर भी हम सोच सकते है कि पोस्ट-कोरोना काल मे टेक्नोलॉजी किस तरह से एजुकेशन सिस्टम में बदलाव ला सकती है।
कमेंट में जो लिंक दी गयी है उसकी कमैंट्स पढ़ने जैसी है।

2. #OnlineTeaching #बहस #ચર્ચા #Debate #Corona #Covid19
यह अच्छी बात है कि बहोत सारे स्कूल और कॉलेज / यूनिवर्सिटी के शिक्षकों ने ऑनलाइन टीचिंग शुरू कर दिया है।
इसके साथ ही इस प्रवृत्ति के आलोचक भी उभर के आये है।
सबसे बड़ी आलोचना यह है कि बहुत कम शिक्षक पढ़ाने ने सही मायने और उद्देश्य के अनुसार पढ़ाते है। ज़्यादातर social media के लिए पढ़ाते है ऐसा महसूस होता है।
यह आलोचना हमे सोचने पर मजबूर करती है। हम ऐसा कर सकते है कि कुछ चेक लिस्ट तैयार करके रखे। देखें कि इस चेकलिस्ट में हमे कितने पॉइन्ट मिलते है।
1.
क्या सिलेबस पढ़ाना बाकी रह गया है? गुजरात के बहुत सारी कॉलेजेस और स्कूल्स में अभ्यासक्रम पढ़ाना पूरा हो गया था। और इम्तेहान का वक़्त था या रीडिंग टाइम था। इस पॉइंट पे ऑनलाइन टीचिंग की आवश्यकता बहुत कम है। हा, अगर स्टूडेंट्स को 'प्रोब्लेम्स' है तो प्रॉब्लम सॉल्विंग के classes ऑनलाइन लिए जा सकते है।
2.
स्कूल्स में , वर्ग 1 से 8 तक ,जब सब को बिना परीक्षा mass प्रोमोशन से पास कर दिया गया है, तब उनके classes को कोई आवश्यकता नही है। इनके classes को तो सरकार ने बंद ही करवा देने चाहिए। हा, अगर इन बच्चों को , आर्ट, क्राफ्ट, योग, खेलकूद जैसी प्रवृति के ऑनलाइन वर्ग चल रहे है तो ठीक है।
3.
वर्ग 10 या 12 या कंपीटिटिव परीक्षा के वर्ग बेहद जरूर है। यह होने चाहिए।
जो कोई ऑनलाइन पढ़ाता है उनको अपना अनुभव सोशल मीडिया पर शेयर करना चाहिए। स्टूडेंट्स को भी कहना चाहिये कि अनुभव शेयर करे। मैंने बहुत सारे विद्यार्थी ओ को ऑनलाइन टीचिंग से दुखी देखे है। पूरे विश्व मे ऐसा ही है।
सिर्फ सोशल मीडिया के लिए ऑनलाइन पढ़ाना नही है पर जो पढ़ाया है, जो सीखा है वो सोशल मीडिया पर शेयर जरूर करना है।

3. #OnlineTeaching #Platform #How #बहस #ચર્ચા #Debate #Corona #Covid19
जब शैक्षणिक संस्था या शिक्षक ने यह तय कर लिया है कि ऑनलाइन पढ़ाना जरूरी है। इतना समय हम बर्बाद नही कर सकते। यह समय, अगर कोरोना lockdown ना होता तो, हमारे classes फुल टाइम चलते होते। इस समय अगर पढ़ाया नही तो बहुत देर हो जाएगी। स्टूडेंट्स को बहुत बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
तो . . .
अब प्रश्न आता है ~ कहाँ पर पढ़ाये? कैसे पढ़ाये?
'
कहाँ' का उत्तर है - डिजिटल प्लेटफार्म।
Zoom
बहुत लोकप्रिय प्लेटफार्म रहा। लेकिन कोई भी जो ऑनलाइन एजुकेशन से जुड़े है वो कहेंगे कि Zoom प्लेटफार्म काफी नही है।
हम पढ़ाते क्यू है?
हम पढ़ाते इसलिए है कि कुछ कॉन्सेप्ट्स स्टूडेंट्स की समझ मे आये। सिर्फ रूबरू होने से कॉन्सेप्ट्स की समझ नही होती। शिक्षक और विद्यार्थी के रूबरू होने से यह नही होता। क्या होना चाहिए . . . ? यहां हम 'कैसे' का उत्तर भी देखेंगे. . .
1.
पहले विद्यार्थियों को एडवांस में कुछ कॉन्टेंट पढ़ने या देखने या सुनने हेतु शेयर करना आवश्यक है। विद्यार्थी से अपेक्षित है कि ऑनलाइन रूबरू होने से पहले वो कॉन्टेंट पढ़ कर तैयार हो कर आये।
2.
ऑनलाइन सेशन में शिक्षक के साथ चर्चा हो। विद्यार्थी प्रश्नं पूछे, शिक्षक समजाते जाए। अगर कोई पूछता नही तो शिक्षक खुद प्रश्न खड़े करे, विद्यार्थी को मौका दे उत्तर देने का, और फिर समजाये।
3.
ऑनलाइन सेशन के बाद स्टूडेंट्स को ऑनलाइन टेस्ट में appear होना अति आवश्यक होना चाहिए। टेस्ट ऑब्जेक्टिव टाइप होनी चाहिए ताकि रिजल्ट तुरंत मिल जाये, सही उत्तर के साथ।
4.
दूसरे ऑनलाइन सेशन की शुरूआत में शिक्षक इस रिजल्ट की चर्चा करेंगे और फिर आगे बढ़ेंगे।
तो हम देख सकते है कि Zoom या गूगल मीट या और कपि भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफार्म हमे यह सब कुछ नही देगा।
इसलिए हमें एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफार्म चाहिए जहां पर सब कॉन्टेंट पहले से अपलोड किया गया हो.
अब कॉन्टेंट मतलब क्या?
e
कॉन्टेंट या डिजिटल कॉन्टेंट केलिए 4 quadrant का स्ट्रक्चर ऐसा हो सकता है:
1. Textual Content (PDF
या PPT में हो सकता है)
2. Vidoe Resources
3. Online MCQ type test / questions for descriptive answers / Points to Ponder / Thinking Activities / Case Studies etc
4. Additional Resources
येह सब कुछ वेबसाइट पे या मोबाइल एप्प में या ब्लॉग पर पहले से उपलब्ध होना चाहिए।
पहले 2 मुद्दे, teacher से ऑनलाइन रूबरू होने से पहले स्टूडेंट्स ने देख लिए है, पढ़ लिए है। अपनी नोट्स और प्रश्न के साथ वो शिक्षक से रूबरू होने को तैयार है।
बाकी के 2 मुद्दे, रूबरू हो जाने के बाद के है।
तो जब हम ऑनलाइन टीचिंग के पूरे सर्कल को देखे तो हमे पता चले कि या तो Moodle जैसा पावरफुल 'लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम' चाहिए या फिर :
1.
वेबसाइट / ब्लॉग / अप्प
2. YouTube
3. Google Quiz Form
जैसे ऑनलाइन टेस्टिंग टूल
कमसे कम तीन प्लेटफार्म चाहिए।
हम देख सकते है कि ऑनलाइन टीचिंग में रूबरू होना 20% ही महत्व का है। 80% लर्निंग महत्व का है।
जब तक हम इस साईकल का नही समजेंगे और हमारे स्टूडेंट्स को नही समाज पाएंगे, तब तक ऑनलाइन एजुकेशन की सफलता अशक्य है।
कोरोना महामारी खत्म होते ही वापिस सब अपने पुराने घोंसले में सुकून फरमाते नज़र आएंगे।
Let us take this epidemic as an opportunity to reform education system. Let us not miss this opportunity. Let us learn a better way to utilize our time and available resources. Let us not mismanage it in such a way that people get an opportunity to say that 'it does not work'.


Rahul Kanwal invites Anant Agarwal, CEO, edX, Jeff Maggioncalda, CEO, Course ra and Prin. Rekha Krishna, Vasant Valley School to discuss online teaching in the time of corona epidemic lockdown.
In this video, as usual, we find school teachers insisting on the importance of face to face classroom over virtual platforms.
Whereas, both executive officers of Coursera and edX were of different opinion.
There is 800 to 1100% rise in course takers on these two popular MOOC platforms.
edX had 1000% rise in traffic from India.
Coursera had 800 rise in traffic from India.
Two important points we can take home from this discussion:
1. Primary schools shall have less of online integration and more of face-2-face classroom environment. For the best of what we expect our children to learn like being social being, learn skills, acquire life skills, learn that livelihood is imp but life is beautiful ~ for these we shall have more classes outside the classroom, because we can learn these wishing four walls of classroom. We need more classes on drawing, sports, dance, music etc.
2. Higher Education shall 
#Blend online along with f2f classes. More and more number of students of colleges and universities shall learn from online platforms.
3. For being lifelong learners, for acquiring skills, for professional development ~ we need to expose our students to the potential of learning from anywhere, anytime . . . the earlier, the better.

5. #OnlineTeaching #Teacher or #MaterialDeveloper #बहस #ચર્ચા #Debate #Corona #Covid19
#Constructivist #Behavioristic #General_Classroom #Technology_Enabled_Learning_Environment
In online teaching, #teacher is no longer a mere teacher. He is more of a material developer and instruction designer (may be without knowing what it is to be so and how is it different from being a teacher... And that's why when rhetorical question is asked about 'will technology replace teacher?' , 
the initial, extempore response is 'blunt denial')
There are fundamental differences in traditional classroom and technology integrated learning environment. One works on the model of #behaviorism as pioneered by Edward Thorndike, devised by John Watson and experimented by B.F. Skinner and Ivan Pavlov. The other on the model of #constructivism as pioneered by Jean Piaget and strengthened by perspectives of Lev Vygotsky, Mikhail Bakhtin, Jena Lave and Etienne Wenger.
The constructive design helps Lerner in developing multiple perspectives, engages in knowledge construction and reflective practices, offers open learning environments and supports collaboration.
In this learning environment, the role of 
#teacher, the way we know, gets transferred to one as #Material_Developer. The formative experience of teacher is replaced by collective experiences of material developers; teacher's training experience with that of ideas of models of instructions and teacher properties (personality, attitude etc) with that of technical affordance of the programme (user-friendliness).
(Source: Ken Beaty's Teaching and Researching Computer-Assisted Language Learning.)

Monday, 15 July 2013

1: The Beginning of New Academic Year, Classroom Discussion & the Boardwork

Academic Year 2013-14:
Post 1: Blending Teaching Methods: 
From Sage on the Stage to Guide by the Side

What is Literature? (Classroom discussion chalked out on green board
It was fairly good beginning (11 July 2013). The new students are quite impressive. In just two days of interaction, I am impressed. They have 'hyper'-actively participated in the classroom discussion. In normal condition, in the first week, the questions bubbled in the classroom do not exist longer. They burst to die in their infancy. Instead, the questions were tenderly nestled and blown wider in size and higher in the air. See, the image of the board-work. The essence of discussion in chalked out on the green board. 

The Waste Land: An Introduction


 The classes for Semester 3 students commenced quite earlier (24 June 2013). We have a small group of students in this class. Not all are always keen to discuss but a few of them lead the discussion to its destination. We discussed historical, social and economical background of the Twentieth Century English Literature. It was rather an oral discussion with a rare use of board work, and I forgot to take photographs of those interactions. Here are a few images of the discussion on T.S. Eliot's poem 'The Waste Land'. 
The Waste Land: Part 2: A Game of Chess
The students were quite active in responding to the questions chalked on the board. Though, the poem is a puzzle which requires a bunch of keys to unlock it. No single master key can unlock the meaning of 'The Waste Land'. After listening the recitation of the poem, it seems that the students were more participative. The number of students's interaction increased on second day. Tomorrow, we are going to continue with Part III: The Fire Sermon and I expect passionate participation from the students.
The photographs are taken on mobile phone. The Interactive White Boards (IWB) can be better option for sharing teacher's board work with students. In absence of such hi-end technology, even a simple phone with camera features can help in capturing the images of board work.
Normally, I do not use board work a lot in the classroom. I would prefer to have blank PowerPoint screen and pen or simple Word Document to type students interaction. This year, I am planning to blend this (s)age old traditional chalk-and-talk method with blog etc web 2.0 tools. Let's see, how long I can sustain this . . .
(The Department of English, Maharaja Krishnakumarsinhji Bhavnagar University - Gujarat, India)